कोरोना को भगाने का एकमात्र विकल्प है कि हर राज्यों में चुनाव करवा दिया जाए
देश
के पांच राज्यों को छोड़कर कोरोना वायरस महामारी फिर से चुनौती बन चुकी
है। जिन पांच राज्यों में कोरोना नहीं है वहां चुनाव है। इसी को लेकर हमने
एक पोल करवाया।
जनता से पूछा-
कोरोना वायरस कैसे खत्म होगा?
- लॉकडाउन से
- वैक्सीन से
- मास्क से
- चुनाव से
अधिकतर लोगों ने कहा- चुनाव से। सैद्धांतिक रूप से देखेंगे तो ये गलत जवाब लगेगा। लेकिन हमारे नेताओं ने कोरोना को लेकर ऐसी स्थिति पैदा कर दी है कि यही जवाब सबसे परफेक्ट लगता है। गुजरात के राजकोट से भाजपा विधायक गोविंद पटेल ने कहा भाजपा के कार्यकर्ता मेहनती होते हैं, जो मेहनत करते हैं उनको कोरोना नहीं हो सकता है। ऐसे में कोरोना को हराने के लिए जरूरी है कि सभी देशवासियों को भाजपा का कार्यकर्ता बन जाना चाहिए। है कि नहीं?
अब
पीएम मोदी को देखिए। जब भी कोरोना पर बात करते हैं जनता को दो गज की दूरी
और मास्क है जरूरी का अद्वितीय ज्ञान देते हैं। लेकिन जैसे ही रैलियों में
जाते हैं मानों ये परम ज्ञान घर पर ही भूल जाते हैं। वहां भीड़ देखकर गदगद
हो जाते हैं। कह भी देते हैं कि मैने जीवन में इतना बड़ा जनसमूह कभी देखा
ही नहीं।
अब सवाल है कि आम आदमी को क्या कोरोना से डरना चाहिए?
बिल्कुल। कोरोना एक गंभीर बीमारी है। सावधानी ही इससे बचाव है। कोरोना को भारत के नजरिए से देखेंगे तो ये एक राजनीतिक बिमारी लगेगी। बिहार में चुनाव होना था तो महामारी का प्रकोप कम हो गया। अब बंगाल, असम समेत पांच राज्यों में चुनाव होने हैं इसलिए वहां भी इसका प्रकोप कम हो गया। हर दिन 50 हजार नए केस जरूर आ रहे हैं लेकिन अधिकतर उन राज्यों से आ रहे हैं जहां चुनाव नहीं हैं। ऐसा लगता है कि कोरोना ने चुनावी राज्यों को लिखित में आश्वासन दे दिया है, आप चुनाव वगैरह करवा लो, हम 2 मई के बाद मिलेंगे।
असल में ऐसा ही कुछ दिखाई दे रहा है। जिन राज्यों में चुनाव है वहां तो जांच ही बंद हो गई है, न किसी से मास्क के लिए जुर्माने वसूले जा रहे हैं और न ही किसी तरह का लॉकडाउन लगाया जा रहा है, हर गली में चुनावी मंच सजा है, चौराहों पर रैलियां हो रही हैं। सुबह से शाम तक सड़को पर रोड शो ही नजर आ रहे हैं। कोरोना अतीत की एक बीमारी बन चुका है। जिसकी चिंता किसी को भी नहीं है। खासकर नेताओं को तो एकदम नहीं।
जैसी
स्थिति बनी है वैसे में कहा जा सकता है कि कोरोना को भगाने के लिए चुनाव
ही एकमात्र विकल्प नजर आता है। क्योंकि चुनाव के दौरान न सोशल डिस्टेंसिंग
का ध्यान रखा जाता है और न ही मास्क पहनने या हाथ धोने जैसी सावधानियां
बरती जाती हैं इसलिए नरेंद्र मोदी सरकार से अपील है कि सभी राज्यों में एक
साथ चुनाव करवा दीजिए, कोरोना को भागना ही पड़ेगा। क्योंकि उससे भी बड़े वायरस चुनावी मंचो पर जो नजर आने लगेंगे।
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