एक संगठन अनुवादक और स्वतंत्र अनुवादक के गुण और दायित्व
किसी भाषा में अभिव्यक्त विचारों को किसी अन्य भाषा में “जैसा
है वैसे” प्रस्तुत करने की प्रक्रिया को अनुवाद के रूप में पारिभाषित किया जाता है।
एक अच्छे अनुवादक को स्त्रोत भाषा और लक्ष्य भाषा के बीच की सभी बारीकियों, उनकी
व्याकरण, उनकी सांस्कृतिक पृष्ठ भूमि आदि के बारे में ज्ञान होना चाहिए।
एक अनुवादक चाहें वह किसी संगठन से जुड़ा हो या वह स्वतंत्र अनुवादक यानी फ़्रीलांसर अनुवादक हो, उसके अपने दायित्व होते हैं। आइए अनुवादकों की इन दोनों श्रेणियों के गुणों और दायित्वों को समझते हैं।
एक संगठन अनुवादक, वह अनुवादक है जो किसी संस्था, कंपनी या संगठन के अंतर्गत कार्यरत
रहता है। वहीं एक स्वतंत्र अनुवादक जैसा कि हम नाम से ही समझ रहे हैं, वह अनुवादक
होता है जो किसी संस्था, कंपनी या संगठन से तो जुड़ा होता है लेकिन वह अपने समय और सुविधा के अनुसार ही
काम करता है। हालांकि संगठन और स्वतंत्र अनुवादक दोनों का ही काम एक जैसा होता है
पर इन दोनों के दायित्व एक दूसरे से काफी अलग होते हैं। एक संगठन अनुवादक से
स्वतंत्र अनुवादक की तुलना में बहुत ज़्यादा अपेक्षाएं रखी जाती हैं। ऐसा लगभग
हमेशा होता है जब संगठन अनुवादक को एक साथ अलग-अलग तरीकों के अनुवादों पर काम करना
पड़ता है। वहीं स्वतंत्र अनुवादक के पास अपनी इच्छा और अपनी क्षमता अनुसार अनुवाद
करने की सुविधा होती है। संगठन अनुवादक से अक्सर स्वतंत्र अनुवादक से बेहतर अनुवाद
करने की अपेक्षा की जाती है। संगठन अनुवादक के पास फ्लेक्सिबिल्टी की कमी होती है
क्योंकि उसे दिन भर में आए लगभग हर अनुवाद पर निहित डेडलाइन के अनुसार काम करना
पड़ता है। इसमें उसके पास शब्दों की संख्या कम भी हो सकती है और ज़्यादा भी।
स्वंतत्र अनुवादक को प्रति शब्द के आधार पर पेमेंट किया जाता है। इसीलिए वो अपनी
इच्छा के अनुसार ज़्यादा काम भी कर सकता है और कम भी।
आप चाहें संगठन अनुवादक हों या स्वतंत्र अनुवादक, दोनों ही भूमिकाओं में
अनुवाद के प्रति आपके दायित्व लगभग एक जैसे होते हैं। सबसे पहले तो आपका अनुवाद
सरल होना चाहिए जो अंतिम उपयोगकर्ता को स्त्रोत के उद्देश्य तक पहुंचा सके। आपको
स्वंय स्रोत अच्छे से समझ में आना चाहिए ताकि आप उसे आसानी से लक्षित भाषा में
समझा सकें। आपके अनुवाद में ऐसे शब्द नहीं होने चाहिए जो किसी भी रूप में पढ़ने में
बोझिल लगें या जिनका मतलब समझना मुश्किल हो। दोनों ही अनुवादकों की भूमिकाओं में
आपको क्लाइंट की स्टाइल गाइड और इच्छित शब्दावली को समझना चाहिए। अनुवाद में किसी
प्रकार की असंगति (इनकंसिस्टेंसी) नहीं होनी चाहिए। उदाहरण के लिए जैसे किसी
अनुवाद पर काम करते समय यदि आप लगभग हर जगह ‘Bike’ शब्द का अनुवाद ‘बाइक’ लिख रहे हों पर कुछ जगहों
पर उसे ‘मोटरसाइकल’ लिख रहे हों, तो यह अनुवाद में असंगति होगी। आपको दोनों भाषा के नियमों का ज्ञान
होना चाहिए। हालाकिं जैसा हमने ऊपर बताया है कि अक्सर स्वंतत्र अनुवादक की तुलना
में संगठन अनुवादक से ज़्यादा बेहतर अनुवाद की अपेक्षा की जाती है, पर यह भी एक गौर
करने वाली बात है कि स्वतंत्र अनुवादक के पास कहीं न कहीं स्रोतों की कमी होती है।
ऐसा हो सकता है कि संगठन अनुवादक की अपनी कंपनी/संगठन में एक टीम हो जिससे वह अपनी
अनुवाद संबंधी समस्याओं का हल पूछ सके। लेकिन स्वतंत्र अनुवादक के पास इस प्रकार
का हल नहीं होता है। अगर उसे कोई समस्या भी होती है तो अक्सर उसे खुद ही उसका हल
ढूंढना पड़ता है। संगठन में काम करते-करते अनुवादक लगभग हर दिन अनुवाद संबंधी नई-नई
प्रौद्योगिकियों को सीखते हैं पर ऐसा हो सकता है कि एक स्वतंत्र अनुवादक के पास इसका
दायरा कम हो।
इस पूरे विवेचन से हम यह समझ पा रहे हैं कि आप चाहे संगठन अनुवादक हों या स्वतंत्र अनुवादक हों, आप में स्रोत भाषा की सामग्री को अच्छे से समझने और उसे लक्षित भाषा में सरलता से स्पष्ट करने की क्षमता होनी चाहिए।
ऐसे बहुत से संगठन या कंपनियां हैं जो अनुवाद सेवा प्रदान करने
के लिए दोनों ही प्रकार के अनुवादकों के साथ काम करके अनुवाद सुविधाएं उपलब्ध करती
हैं।
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